Wednesday, September 3, 2008

Ashish and Kamayani team reports on flood relief

hi priya, ravi, sunita and dr bhagat
kamayani and team were able to reach out to 1500 people in araria with food packets. food was purchased locally and package by volunteers locally. there are 10 volunteers with kamayani who are doing excellent work . handling of such large numbers can be extremely difficult. however it was managed very nicely by the team. when i talked to kamayani she said that a very difficult job was well accomplished in a very organized manner. Medha patkar is also in the area and she, kamayani and other volunteers went to the rescue site yesterday. The also had a meeting with the administartion there. as usual the administration was not keen to listen and act. there is a meeting with other groups in purnea and hopefully many concrete items will come out of that.

Residents of krishna nagar in patna have organized themselves and are collecting material and packaging it (5kh choora, 1 kg gud, match box, candles). I have teamed up with them and we will be sending a truckload on 7th to araria. the response of the citizenry has been good so far and we really want to involve them as much as possible in the whole process.

water has started to recede in some areas and thats a relief. this is going to be a long long journey...

i sense that we will need more money, so i request aid to release 1 lakh rs again.

thanks,
ashish


ps: i spoke to dharmendra ji, he is trying to work with vidya babu (bgvs person) in saharsa. he was planning to visit saharsa. however the rail link to saharsa is broken now..lets see how we can reach out to the needy in saharsa

Flood updates from Vivek Umrao and जलप्रलय ने सुखा दिया मां का आंचल

For flood relief works. About 500 youths from our team friends are working actively in Madhepura and other districts. About 150 youths are working in Madhepura district only.
I am not sure for data of deaths but I am sure that deaths are minimum 50,000 till now.
Govt claims only 76 deaths.
I am in continuous touch with local social activists of various places of Flood suffered areas. They have seen thousands of dead bodies with their own eyes.
About 4 Million people are in still in speedy flood streams. Govt claims only for 2 or 2.5 Million people. Millions of lives can be saved by using helicopters because of high speed flood streams.
Big boats are hardly 50 in the area. Small boats are not capable to move in speedy flood streams.
90% animals have died in Flood suffered areas.
The data of Flood suffered areas District and Block wise.
District :: Number of Flood suffered Blocks / (Total number of Blocks)
Madhepura :: 11 / (13) (Worst)
Supaul :: 5 / (11)
Saharsa :: 4 / (11)
Purnia :: 4 / (11)
Araria :: 3 / (9)
Katihar :: 4 / (16)
We are ready to provide you all help in your efforts to support for flood suffered people of Bihar. Either you can come to flood area, we will provide you all human assets and you can give your supports with your hands or you can send money and our friends can provide supports on behalf of you and your group.
Your each penny will be spent for needy people. We have FCRA and 80G.
Please inform us by which way you would like to provide supports.
Food, Temporary shelters, milk for small babies, medicines, vaccines, boats and helicopters (to save Millions of human lives) etc types support can be provided.
love,
vivek
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जलप्रलय ने सुखा दिया

मां का आंचल

Sep 02, 08:45 pm

पूर्णिया/मधेपुरा। भारतीय परंपरा में नदियां जीवन दायिनी मानी जाती हैं। मां भी जीवन देती है। लेकिन बिहार के लिए शाप बन चुकी कोसी में आई प्रलयकारी बाढ़ में सब कुछ गंवाने वाली एक मां रेलवे स्टेशन पर बिलख रही है, क्योंकि अपने दुधमुंहे को पिलाने के लिए उसके आंचल में दूध नहीं उतर रहा है।

प्राकृतिक आपदा में लोगों के सिर ढांपने की जगह बने पूर्णिया रेलवे स्टेशन पर शरण लिए झुनकी अपने चार महीने के दुधमुंहे बच्चे को गोद में लिए बिलख रही है। पिछले कई दिनों से बाढ़ में फंसे रहने और भूखे रहने के कारण उसमें इतनी क्षमता नहीं बची कि भूख से तड़प रहे रोते बिलखते अपने बच्चे को स्तनपान कराकर उसकी पेट की आग बुझा सके।

चार दिनों से भूखी झुनकी अपनी गोद में समेटे अपने रोते बच्चे को स्तनपान कराने का प्रयास करती है लेकिन बच्चा थोड़ी देर के लिए स्तन में मुंह लगाता है लेकिन दूध नहीं आने पर मुंह हटाकर फिर चीखना-चिल्लना शुरू कर देता है क्योंकि उसकी भूख नहीं मिट रही है। झुनकी के साथ आई मधेपुरा जिले के सौर बाजार की रहने वाली उसकी पड़ोसन अहल्या उसे रोता देख ढांढस बंधाने का प्रयास करती है लेकिन आंसू हैं कि थमते ही नहीं। थमे भी कैसे? बच्चा भूखा है।

बाढ़ शरणार्थियों से पटे पूर्णिया रेलवे स्टेशन पर कतारों में बैठे शरणार्थियों को रेलवे द्वारा परोसे जा रहे खिचड़ी-चोखा खाते समय थोड़ी देर के लिए गोद में पडे़ भूख से रोते बिलखते बच्चे की चीख और चिल्लाहट में झुनकी ऐसे भूल जाती है जैसे उसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा हो।

झुनकी अपने बच्चे को कंधे पर लिए घर से राशन लाने अपनी पड़ोसन के साथ निकली थी। तभी बाढ़ का पानी उसके गांव में प्रवेश कर गया। उन्होंने सोचा कि थोड़ा बहुत पानी आया है। वे राशन लेकर घर लौट जाएंगी, लेकिन कुछ ही समय में बाढ़ का पानी इतना बढ़ गया और उसने इतना उग्र रूप धारण कर लिया कि बस थोड़ी ही देर में जैसे सब कुछ अपने में समाहित कर लेगा। बाढ़ के पानी के इस उग्र रूप को देखकर झुनकी और अहल्या ने बाढ़ की तेज धारा से बचने के लिए बिना दिशा की परवाह किए भागना शुरू किया।

गांव से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर मौजूद सड़क तक पहुंचने के लिए दोनों किसी तरह एक नौका पर सवार हुई और इसके लिए नौका चालक ने उनसे पचास रुपये वसूले। उन्हें यह भी पता नहीं था कि उन्हें जाना कहां है। मौत और जिंदगी के फासले को पाटने के लिए ये दोनों पैदल चलते-चलते अररिया जिले के समीप स्थित फारविसगंज शहर पहुंच गई।

विकराल रूप धारण किए कोसी नदी के पानी ने उनका यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। यह शहर भी चारों तरफ से पानी से घिर चुका था। ये दोनों वहां से एक ट्रेन पर सवार होकर किसी तरह पूर्णिया पहुंच गई और अब यही रेलवे स्टेशन उनका ठिकाना है।

झुनकी ने बताया कि वह नहीं जानती यहां से जाए तो जाएं कहां। उसके पति पंजाब में खेतों में मजदूरी करते हैं और उसकी एक तीन वर्षीय बेटी और बूढ़े सास-ससुर बाढ़ के पानी में गांव में ही छूट गए हैं। अपने भविष्य की चिंता को लेकर रो-रोकर लाल हो चुकी आंखों से बह रहे आंसुओं के बीच थकी और भर्राई आवाज में झुनकी ने कहा कि वह नहीं जानती कि अब उनसे भविष्य में मिल भी पाएगी या नहीं?

मधेपुरा के भतौनी गांव निवासी अमिना बेगम [36] जो कि अपने दो बच्चों नूरी [08] और सरफराज [10] के साथ तैरते हुए किसी तरह एक नाव पर सवार हुई और बाद में एक ट्रैक्टर से होकर पूर्णिया पहुंचने में तो कामयाब हो गई लेकिन उसके 70 वर्षीय ससुर सफदर अली और उसकी बड़ी पुत्री प्रवीण गांव में ही छूट गए। उनके पति शाहनवाज एक चमडे़ के कारखाने में कानपुर में काम करते हैं लेकिन उसे अपने पति का पूरा पता याद नहीं है और वह इस परेशानी के आलम में उन्हें कुछ भी नहीं सूझ रहा है कि वे जाएं तो कहां जाएं।

पूर्णिया रेलवे स्टेशन के सभी छह प्लेटफार्म शरणार्थियों से भरे हुए हैं क्योंकि यहां उनका पिछले एक सप्ताह से आना जारी है। स्टेशन पर शरण लिए चार बेटियों और दो पुत्रों के पिता और मधेपुरा के दिलघी गांव निवासी 65 वर्षीय बालेश्वर बताते हैं कि इस उम्र में जीवन को नए सिरे शुरुआत करना अब उनके लिए आसान नहीं है। वे बताते हैं कि उन्होंने कड़ी मेहनत कर अबतक जो कुछ कमाया था वह इस बाढ़ की भेंट चढ़ गया।

उनका कहना है कि उनके कुछ रिश्तेदार दिल्ली में रहते है इसलिए उन्होंने इरादा किया है कि वे वहां जाकर भवन निर्माण मजदूर का काम करेंगे जिससे वे भूखे तो नहीं मरेंगे। उत्तर पूर्वी बिहार के इन बाढ़ प्रभावित सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, अररिया में आई इस प्राकृतिक आपदा से संघर्ष कर रहे लोगों की जिंदगी के मायने को ही बदल कर रख दिया है। पूर्णिया जिले की भनगाहा की गर्भवती पार्वती जो कि घर में बच्चे की आने की खुशियां संजोए बैठी थी लेकिन उसे कहां पता था कि उसका यह सपना कभी भी पूरा नहीं होगा।

उधर, कटिहार में बाढ़ पीड़ितों की काटे नहीं कट रही है दिन और रात। कोसी मैया के कोख में सब कुछ गंवा कर कटिहार पहुंचे बाढ़ पीड़ित के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जवान, बच्चे, बुढ़े व बुजुर्ग, सबकी एक सी हालत है। कुछ पूछने पर ही फफक पड़ते है। वर्षो की मेहनत से बनाया घरौंदा पल में बिखर गया। जिंदगी जीने के लिए बुने गए ताने-बाने को कोसी ने लील लिया। किसी को बेटी की ब्याह की चिंता है तो किसी को बच्चे की पढ़ाई की। कोई परिजनों से मिलने को व्याकुल है, किसी का अपनों से बिछड़ने का गम।

कोसी के जलप्रलय में सब कुछ गंवाकर कटिहार में शरण लिए कई परिवार की व्यथा सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा। जदिया के श्याम कुमार सिंह जो अपने परिवार के साथ कटिहार स्टेशन पर शरण लिए है, कहते है सब बर्बाद हो गया। सोचा था इस बार बेटी की शादी करूंगा, वह भी अब नहीं हो पाएगी। घर ध्वस्त हो गया, किसी तरह निकलकर रानीगंज व रानीगंज से कटिहार पहुंचा हूं। उनकी पत्नी शंकुतला देवी कुछ पूछने से पहले ही फफक पड़ी। कहा सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रलय में सब कुछ लुट जाएगा। छातापुर महम्मदगंज के रसीद आलम का कहना था कि बारह दिनों के बाद निकलकर बाहर आ सका। कटिहार पहुंचा हूं परिजन भी साथ ही निकले थे कहां बिछड़ गये पता नहीं चल पा रहा है। अभी भी गांव में सैकड़ों लोग फंसे हुये है।

अररिया जिले के संतोष कुमार मंडल ने कहा कि मौत को सामने से देखकर आ रहा हूं। वहीं वीरपुर के घनश्याम पांडेय जो कटिहार में एक स्थान पर शरण ले रखे है। ये कहते है कि कितनी मौतें हुई है इसकी गिनती भी मुश्किल हो जाएगी। लाश ही लाश नजर आ रही थी। नाव वालों ने एक हजार रुपये की दर से प्रति व्यक्ति लिया तब निकल सका। सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि ठेकेदारी के चलते कुसहा बांध टूटा है। स्टेशन पर मौजूद एक बच्चे जिन्हे परिजनों की तलाश थी, नाम गौरव बताते हुए कहा कि गांव से सब भाग रहे थे, मैं भी भाग गया अब मां को ढूंढ रहा हूं।

Mission flood relief in bihar: Dharmendarji reports from Patna: People flee from flood zones to Patna

When i reached patna jn yesetrday at 3.45 pm. I saw so many couple with their children are on plateform. A small girl (8-10 years) was asking with their father : papa ho, aehi tham rahaba, katto jan pahchan nae chhou tora ke patna me (Dad, where are we going to stay? We don't know anyone in Patna?)?

I stopped for a while and realise the pain of these family.
I went BGVS office bcz, 5 families of my frinds are staying there. Jaise hi pahuch, laga unko ki koi mera hamdard aa gaya. 2 minute ki shanti aur aankho me aanshu par jajwat par kabja karne ki koshish. hal chal me malum hua ki sab kuchh chala gaya. Jab shankarpur (Where we used to measure malnutrition grades of chidlren) , murliganj, kumarkhand, singheswar blocks ke nam aaye to mere liye bhi mushkil tha dukh chhipa pana kyoki, hamne apne samajik jeevan ka pahala path inhi area me pada tha 1993 mein.

Maine puchha kaha hai mere bindeshwari mandal, rekhaji, bhimji, anita ji, savitaji, vibhaji and a dozen frinds? them told traceless!! kisi ko koi pata nahi ki kaun kaha gaya?
Leelawati ek sarpanch hai aur meri achchhi dost hai, apne sas, bhawaj, 4 chhote ladake etc ke sath thahari hai, in bindu par kuchh nahi bol payi, sirf yahi kahi ki aha (you) aa geliyai, hamara khusi bhel.
Mahanad who is cook of BGVs said, dharmendar bhaijiho, hame yaha chhiyai aa hamar patni khurda (a village) me phasal chhai, ki kariyai.
Suresh shashi has come with his wife and 3 children sai, Bhaiji, hamara ke ette kam dilayi da, ham madhepura ja ki ki karbai.
5-6 bachche, jo sirf tukur-tukur hame dekh rahe the.
Aage dusare dera par jab gaya to kafi rush. Mai samjha ki tij (a woman' festival) ka rush hai, par jab najdik gaya to dekha ek 10x12 ke kamare men 27 log hai aur wo sab flood area se aaye hai.
Aisa marmik scene jab patna ka hai to udhar kya hoga, yahi sochate mai apna dera aa gaya.
Actually I was far from these area and only on phone contact and news contact. When i had asked to our frind to go there, they stopped me and told what benefit of your coming. They advised me to keep patience. when i told i am coming with relief they gave a lot of ideas. We have also collected some cloths. now we are going with a planned way.
Yesterday we have finished a meeting with Umeshji, manoj sunil, bir bahadur (all youth from patna) and sanjayji, ganeshji (on phone). then our previous plan vanished. We had decieded to organise 5-6 camps for 3 dist and distribute, polythene for shelter, food packets, medicine and cloths. But in new situation on yesterday meeting we decieded to provide food packets only on first time and also for 2 dist first. Sanjat told it will be inhuman if we organise camp in beldaur (Khagari) because Madhepura is more effected and food packets are needed there. Sanjay belongs to khagaria but he preffed to go Madhepura first. In Kharagia relief was more satisfactory also, but in Madhepura in above said blocks are routless.
We decieded as below:

  • Tonight Umeshji, Manoj, Sunil and i will start from Patna with materials. Today we are going to purchase materials.
  • Tommorrow we shall prepare packets and the next day we shall march in any one block of Madhepura. it is known that there is no way to reach in these blocks except motorboat. so our local friend are arranging boats for 4 sept, otherwise we shall take on hire.
  • We decieded for 1000 people.
  • A package will be 4 kg.
  • 2 kg. chura, @ Rs. 15/-, 1/2 kg. chana @ Rs. 49/-, in 1/5 kg, there will be salt, match box, Candle 5 pc. etc. so its cost will be Rs 100/- It will be purchased at Khagaria and will be packeted at there.
  • We are going to purchase 300-500 sari, dhoti, gamchha, torches. it cost may be 175-225/- per packets.
  • We are going to purchase biscuits, lemonchus, dalmot etc. for children.
In other hand a meeting is going to held at Saharsa on 3 sept and they will decide how can we help them. In particular Saharsa HQ fooding camps are regular by administration and less need for food. so supplementary food may need . Water purification, medicines etc needed here.
Finally it will be decieded on the spot. So I will in better position after 7th sept (after returning) what can help needed and where we can do somthing.
Because it is not matter of relief one time. Yah vinash leela to varso tak pichha karegi. Pani kamega, to logo ko health ka mamla, sal bhar khane ka mamla, unke ghar ka mamla, unki jivika ka mamla, unke survival ka mamala aur in sabke pichhe jo ek badi aapas ki ladai nazar aa rahi hai, usme hamsab kya kar payenge aur unki ladai ko kai jine ki ladai me badlenge, ek chunauti hai. Kyoki, isbat tatbandh tut kar naye ilake me tabahi machayi par sach to yah hai ki Koshi ultimately Bihar ka shok hai hi.
Bachho ki taswir jab samne aati hai to yah pankti barbas yad aati hai:
"kitne jismo nahi aaj bhi kapara koi, iss samasya par to aayog na bhaitha Koi.
chor banta nahi bachcha to bhala kya banta, jab khilona nahi bazar me sasta koi."
Khair, Ab wapas aane ke bad bat hogi. iss bich sirf phone hi shayad kam karega. Ham khagaria, madhepura aur saharsa ke bare me plan banakar ja rahe hai. samasyaye anant hai.
Issi bich agar koi sathi sampark karna chahe to mera number hai 9431477171
Koi sathi direct madad karna chahe to mere a/c me paisa jama kar sakte hai aur hame inform kar den. mera a/c number hai:-

Panjab National Bank (core banking facility) 4458000100022668 in favour of Dharmendra Kumar.
Agar koi cheque bhejana chahate hai to in favour of Dharmendra Kumar and send me on my address;
Eureka shiksha abhiyan
c/o sri basudeo singh
vill- Nagla
P.O.- Nagla kinjer
Dist- Arwal